पहाड़ परिवर्तन समिति के प्रदेश अध्यक्ष (सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन) और सामाजिक कार्यकर्ता मनोज तिवारी ने मांग की भू – कानून सहित अन्य कानूनों की मांग
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आज हमको उत्तर प्रदेश से अलग हुए 21साल हो गए ,इन 21 साल मै हमारे नेताओ ने अपने वोट बैंक के चलते उत्तराखंड के जगह जगह यूपी और अन्य राज्यो से लोगो को लेकर बसा दिया । आज उत्तराखंड सरकार मै बाहर राज्य के सरकारी कर्मचारी लगभग 30,000 के उप्पर है। और वहीं हमारे पहाड़ के युवा रोजगार के लिए तरश रहे है । रोज बाहरी ताकते हमारे पौड़ी ,चमोली ,टिहरी ,हल्द्वानी , नैनीताल और अन्य जगहों पर जमीन खरीदने की होड़ मै है ।इससे हमारे असित्व पर बहुत बड़ा खतरा बन चूका ।आए दिन कोई कबाड़ी और कोई फेरी ये सब बनकर उत्तराखंड से बहू बेटियों को उठाकर भाग रहे है।। हमारे धार्मिक स्थलों मै जाकर जुवा और शराब का अड्डा बनाने की कोशिश हो रही है।।रोज पहाड़ों मै लव जिहाद , जमीन जिहाद , और भी कहीं अन्य जिहाद इसमें शामिल है । इस उत्तराखंड की जल ,जंगल ,पानी सब कुछ हमारा उसके बाद इसमें हमको हमारे अधिकार से वंचित रखा गया है। और बाहरी ताकते यहां दोहन कर रहे है। हरिद्वार जैसे जगहों मै गौ हत्या तक हो रही है। इससे बड़ा पाप हमारे हिन्दू धर्म के उदगम स्थल देव भूमि मै हो रही है कुछ जिहादियों द्वारा ये हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है। आए दिन हमारे उत्तराखंड मै जमीन खरीदकर उसमें होटल ,मस्जिद , घर आदि का निर्माण हो रहा है ! हमारे धर्म रक्षकों को बाहर से धमकियां दी जाती है । मेरे नौजवान साथियों इतना बड़े स्तर पर हमारे उत्तराखंड मै सब कुछ चल रहा है ,ये हमारे लिए किसी परमाणु हमले से कम नहीं है । आप अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हो वहीं दूसरी तरफ कुछ जिहादियों ने गंगा जमुना तहजीब का राग अलापना शुरू कर दिया। इनको पता है आपकी आवाज से इनकी जमीन खिसक रही है। इसलिए हर सनातनी उत्तराखंडी अपनी आवाज बुलंद करे ,नहीं तो आने वाला समय हमारे लिए 1992 का कश्मीर ना बन जाए जब राजा हरि सिंह के कश्मीर से हिन्दुओं को भगा दिया मार दिया और उनके साथ बलात्कार जैसे घटना हुई। जो हिन्दू अधीन सेक्युलर बन रहा हो उसको उसके हाल पर छोड़ दो ,क्योंकि ढाक के पेड़ में कितना पानी डालो उसमें 3 ही पत्ते आएंगे।
आज अपनी चुप्पी की वजह से बंगाल का हिन्दू अपना घर जमीन सब छोड़ने को मजबूर है ।
मै मनोज तिवारी उत्तराखंड सरकार से माग करता हूं कि हमको हमारे मुद्दे का हक दिया जाए । देवभूमि देवी-देवताओं की भूमि है,कोई धर्मशाला नही।
मेरे मुद्दे पहले भी वही थे आज भी वही है
#अनुच्छेद371
#मूलनिवास1950
#भू कानून