*धनदा’ के ‘परफैक्सनिज्म’ ने लौटाई युवा पीढ़ी की उम्मीद* सियासत और पॉलिसी में जाने अनजाने कई ओर-छोर ऐसे छूट जाते हैं जो यदि नहीं छूटते तो उनका परिणाम अच्छे से और अधिक अच्छा होता। लेकिन सच है कि उन छोटी-छोटी चीजों की ओर ज्यादातर किसी का ध्यान नहीं जाता, खासतौर पर जिनका वास्ता कमजोर तबके से होता है। और किसी ने किसी को उसकी भरपाई करनी होती है। लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ऐसे हैं जो अक्सर छोटे समझे जाने वाले मसलों को हल्के में नहीं लेते वह उन्हें भी बड़ी तवज्जो देते हैं। उनकी ओर से दी गई नई व्यवस्थाओं में छात्र छात्राओं के लिए परीक्षा में पास होने या अंक सुधार का अवसर मिल सकेगा। सुखद यह है कि यह निर्णय धरातलीय हालातों के मद्देनजर है।
नई व्यस्थाओं में एक दो विषय में फेल हुए परीक्षार्थियों पास एक सफल होने का एक मौका और होगा, और जो बच्चे यह सोचते हैं कि उनके नंबर कम आए तो वह भी अंक सुधार के प्रयास कर सकते हैं।
शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने कहा कि परीक्षा में छात्रों का साल खराब न हो इसके लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है। मंत्री के मुताबिक फेल छात्र-छात्राओं के साथ ही उन छात्र-छात्राओं को भी अंक सुधार का मौका दिया जाएगा। जो छात्र परीक्षा में पास हैं और यह समझते हैं कि उनके अच्छे अंक आ सकते थे, लेकिन नहीं आए।
वह कहते हैं कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों की तुलना में अलग हैं। यहां उन छात्र छात्राओं की भी कमी नहीं है जो खेतों में काम करने के बाद परीक्षा देने पहुंचते हैं। और कई बार स्वास्थ्य खराब होने की वजह से भी कुछ छात्र ठीक से परीक्षा नहीं दे पाते, या परीक्षा देने नहीं पहुंच पाते। जाहिर तौर पर इससे हालातों से संघर्ष करने वाले नौनिहालों को बल मिला है।
आज के समय में किसी शिक्षा मंत्री से तो यह उम्मीद तो कतई नहीं की जा सकती कि वह उन बच्चों के बारे में भी सोचे जो खेतों में हल जोतने या अन्य कामों को निपटाने के बाद जैसे-तैसे परीक्षा देने आते हैं। एकदम जमीनी मसलों पर गहराई से सोच कर व्यवस्था देना, यही तो है धनदा का परफैक्शनिज्म, और यही सोच उनकी लोकप्रियता का भी कारण है। बहरहाल सभी परीक्षार्थियों को बहुत बहुत बधाई, और शुभकामनाएं।