बच्ची से दुष्कर्म,हत्या में फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर,पहचान उजागर होने के डर से बेरहमी से मार डाला
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चेन्नई।
पहले बच्ची का बलात्कार व बाद में उसकी नृशंस हत्या करने वाले आरोपी को चैन्नई हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट के फांसी के आदेश को बरकरार रखते हुए उस पर अपनी मोहर भी लगा दी।
7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर अपराध छिपाने के लिए उसकी निर्मम हत्या करने वाले अपराधी को निचली अदालत से मिली फांसी पर मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने मोहर लगा दी है।
अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि वह किसी का जीवन खत्म करने से झिझक रहे थे, फिर युद्धभूमि में महाभारत का वह प्रसंग याद आ गया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहे थे।
इसलिए वे भी स्वयं को मिले कर्तव्य को निभा रहे हैं।
अपने आदेश में हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को उचित मान कर कहा कि यह प्रकरण दुर्लभ से दुर्लभत्तम मामला है।
फांसी से कम कोई भी सजा ना काफी होगी ना और उससे न्याय नहीं होगा।
अपराधी ने जैसे निर्दयता बच्ची पर दिखा कर हत्या की और जिस मानसिक वेदना से बच्ची के अभिभावक व माता पिता गुजरे उसके लिए कोई और सजा मंजूर नहीं हो सकती है।हाईकोर्ट ने कहा कि हमने मामले को बारीकी से देखा है तथ्यों पर विचार किया है फांसी की सजा के खिलाफ अपराधी की याचिका खारिज की जाती है फांसी की सजा बरकरार रहेगी।
अपराधी समीवेल उर्फ राजा ने जून 2020 में एक दलित परिवार की 7 साल की बच्ची को पुड्डुकोट्टई के एम्बल गांव से उठाया और सुनसान क्षेत्र में ले जाकर पहले दुष्कर्म किया और बाद में इस डर से कि उसे पुलिस के सामने पहचान लेगी उसने बच्ची का सिर पेड के तने पर पटक दिया।
उसका चेहरा व गला बेरहमी से काटकर शव को गांव के एक दूरस्थ तालाब में फेंककर शव को सुखे पत्तों व झाड़ियों में छिपा दिया।