ऊर्जा निगम के एम डी तथा पिटकुल के एम डी ने एक दैनिक समाचार में छपी खबर को गलत बताया है।
दोनों अधिकारियों ने अवगत कराया कि पारेषण लाईन का निर्माण कार्य अलग है जिस कारण उसके लिए पृथक से निविदा आमंत्रित कर कार्य आवंटित किया गया जबकि उपकेन्द्र का निर्माण कार्य अलग है। पारेषण लाईन की 132 के0वी0 पिथौरागढ़-लोहाघाट-चम्पावत लाईन का कार्य दिनांक 02.06.2023 को पूर्ण होने के उपरान्त दिनांक 11.06.2023 को 33 के0वी0 पर ऊर्जीकृत किया गया है।
उक्त लाइन के ऊर्जीकृत होने के उपरान्त क्षेत्र की लो-वोल्टेज समस्या, विद्युत ट्रिपिंग की समस्या से क्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिली तथा वोल्टेज की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ-साथ ब्रेकडाउन नगण्य हो गया है।
दोनों प्रबंध निदेशकों ने कहा कि सम्बन्धित समाचार पत्र द्वारा गलत समाचार प्रकाशन के कारण सम्पूर्ण उत्तराखण्ड की आम जनता में पिटकुल की छवि एवं ख्याति धूमिल हुई है, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है। ध्यानी और अनिल कुमार ने समाचार पत्र के कुमायूँ से प्रकाशित दिनांक 19.10.2023 में “काम अधूरा, पीएम से करवा दिया लोकार्पण पिथौरागढ़-लोहाघाट-चंपा वत पारेषण लाइन का मामला, बिजलीघर बना न स्टाफ तैनात प्रकाशित समाचार का खण्डन करते हुए सही वास्तविक तथ्यों का समाचार प्रकाशन दिनांक 20.10.2023 के दैनिक समाचार पत्र में करवाने को कहा है जिससे कि समाचार पत्र की विश्वसनीयता एवं पिटकुल की छवि धूमिल न होने पाये।
देखने वाली बात यह होगी की समाचार पत्र ध्यानी और अनिल कुमार के निवेदन को कितना स्वीकार करता है या तोड़ मरोड़कर खंडन प्रकाशित करने के नाम पर इनका पक्ष कहकर प्रकाशित कर देता है।
वैसे गाहे बगाहे देखने को मिलता है कि उत्तराखंड में इस तरह के प्रकरण अक्सर होते रहते है , कोई विरोध के लिए विरोध करता है ,तो कोई अपने आर्थिक हितो को साधने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाते है , ऐंसे में उत्तराखंड के जनमानस की चिंता स्वास्थ्य , शिक्षा , जानवरों के द्वारा इंसानो की हत्या , बेरोजगारी , पलायन , अपराध आदि जनसरोकारों के मुद्दों पर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति कभी भी न बोलते है न लिखते है ऐंसे में स्वतः ही समझ में आ जाता है कि पिटकुल जैसे निगम या यूपीसीएल जैसे निगमों की खबरों को सहारा बनाकर अपना हित भी साधा जाता होगा।
जंहा तक पीएम से अधूरे कार्यों के लोकार्पण का समाचार है तो गौरतलब है कि इससे पूर्व में भी कही बड़ी पारेषण लाइनों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिये गये निर्णय के क्रम में 33 के0वी0 पर ऊर्जीकृत किया गया। प्रदेश एवं जनहित में लाभ हेतु उपरोक्त लाईन 33 के0वी0 पर ऊर्जीकृत की गयी, जिससे लाईन में आ रही अत्यधिक विद्युत ट्रिपिंग / ब्रेकडाउन में कमी होगी, ट्रिपिंग में कमी के फलस्वरूप राजस्व में वृद्धि होगी, लो-वोल्टेज की समस्या से निजात मिलेगी , ऊर्जा हानियों में कमी व उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की विद्युत उपलब्धता निर्बाध रहेगी।
इससे पूर्व भी देश की सर्वश्रेष्ठ पारेषण यूटीलिटी PGCIL द्वारा भी अति उच्च विभव (ExtraHigh Voltage) लाईनों का निर्माण कर समय-समय पर कार्यहित में निम्न विभव (Low Voltage) पर ऊर्जीकृत किया जाता रहा है। जैसा कि 765 के0वी0 कोटेश्वर-मेरठ लाईन का निर्माण कर 400 के०वी० पर ऊर्जीकृत किया गया। 400 के०वी० धौलीगंगा-बरेली लाईन का निर्माण कर 220 के0वी0 पर ऊर्जीकृत किया गया।