विरेन्द्र सिंह कपकोटी
जोश,जज्बा,जुनून व समर्पण की भावना गर हो तो पहचान बनाना आसान हो जाता है।
ये बातें उत्तराखंड के कुमाऊँ-मंडल के तीन दोस्तों की तिगडी ने न सिर्फ कही,बल्कि बात को चरितार्थ कर दिखाया।
जागर टीम के सदस्यों ने कहा अपनी बोली भाषा, संस्कृति की सेवा करना भी देश सेवा ही है। हमारी लोक संस्कृति और हमारे लोक गीतों के प्रचार प्रसार में एक टीम बहुत ही शानदार कार्य कर रही है। मैं आज आपको उसी टीम से मिलाने जा रहा हूं। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से आने वाली बहुत ही लोकप्रिय टीम घुगुती जागर से। इस टीम में मुख्यतया तीन लोग हैं और इसी वजह से लोग इस टीम को तिकड़ी के नाम से भी पुकारते हैं। सर्वप्रथम बात करते हैं राजेंद्र सिंह ढैला की। जो कि मूल रूप से ब्लॉक लमगड़ा जनपद अल्मोड़ा से हैं। यह एक कवि-गीतकार, लेखक, गायक कलाकार, संस्कृति प्रेमी, बोली भाषा प्रचारक और हुड़का वादक हैं। अपने लोक से संबंधित कविता और गीत लेखन में राजेंद्र ढैला विभिन्न मंचों के साथ ही आकाशवाणी अल्मोड़ा और दूरदर्शन उत्तराखंड में भी अपने गीत और कविताओं की प्रस्तुति दे चुके हैं। इनकी लेखनी में पहाड़ बसता है जिससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि इनके हृदय में पहाड़ के प्रति अनन्य लगाव है। ये अभी तक दो सौ कविताएं व सौ से ज्यादा गीत लिख चुके हैं। साथ ही 60 कुमाऊनी के वरिष्ठ साहित्यकारों का इंटरव्यू भी ले चुके हैं। इनका एक बहुचर्चित गीत जो लगभग हर किसी का पसंदीदा है। “आपण मन में पहाड़ ल्या रयूं”। बहुत ही सुन्दर और दिल को छूने वाला है।
अब बात करते हैं टीम घुगुती जागर के दूसरे सदस्य की जो कि मूल रूप से सूनी, देवीधुरा से आते हैं राजेन्द्र प्रसाद RP। राजेंद्र प्रसाद एक खूबसूरत आवाज के धनी गायक कलाकार हैं। इनकी आवाज़ में एक मिठास है। जो लोगों को अनायास ही अपनी ओर खींच लेती है। यह हमारे लोक गायन की बहुत सी विधाओं को बहुत बढ़िया ढंग से गा लेते हैं। जैसे झोड़ा चांचरी, न्योली, छपेली, भगनौल आदि। हाल ही में इनके द्वारा गाया गया गीत “जाली रूमाला” बहुत लोकप्रिय हुआ है।
घुगुती जागर तिकड़ी के तीसरे स्तंभ हैं गिरीश शर्मा। मूल रूप से सल्ट मौलेखाल से आते हैं। यह ओ सदस्य हैं जो इस टीम में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं वह इसलिए क्योंकि यह कई बार पर्दे के पीछे रहकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यह कैमरामैन, रिकॉडिस्ट, तबला, ढोलक वादन के साथ ही विडियो एडिटिंग करते है। और कभी जरूरत पड़ने पर एक्टिंग भी करते हैं।
घुगुती जागर के तीनों कलाकार वर्तमान में हल्द्वानी में रहते हैं और सिडकुल रूद्रपुर स्थित देश की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हैं। यह लोग छुट्टी के दिन पहाड़ के अलग-अलग इलाकों में जाकर अपने गीतों की रिकॉर्डिंग व शूटिंग करते हैं। तत्पश्चात अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब चैनल Ghuguti Jagar rd व फेसबुक पेज Team Ghuguti Jagar पर अपलोड करते हैं। जिनको दर्शकों का भरपूर प्यार मिलता है। यह लोग अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लाईव भी आते हैं जिसमें यह अपने फैंस की फरमाइश पर उनको उनकी पसंद के गीत सुनाते हैं। इस टीम की कुछ खूबियां हैं जो इसे औरों से अलग बनाती हैं जैसे- यह अपने सारे कार्यक्रम अपनी लोकभाषा कुमाऊनी में ही करते हैं। पूराने गीतों के साथ ही साथ नये गीतों का निर्माण कर उन्हें गाते हैं। अपने साथ ही और लोक कलाकारों को भी सभी से परिचित करवाते हैं तथा उनकी प्रतिभा को भी लोगों तक पहुंचाते हैं आदि-आदि।
लोक संगीत व लोक संस्कृति के जानकार लोग इनके बारे में कहते हैं कि यह लोग अपने पहाड़ का असल निखालिस लोक संगीत प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि अपने आप में काबिले तारीफ है। वह भी तब जब हमारी नई पीढ़ी अपनी बोली भाषा संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने में अपनी शान समझ रही हो। अपनी इस लोक संस्कृति की खुशबू को बिखेरने के लिए हम हिंद सवेरा की समस्त लोगों की ओर से टीम घुगुती जागर के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।